Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -17-Oct-2022... सांता क्लॉज़...

तुझे पता हैं सोनु... कल क्या हैं..! 


कल... क्या हैं कल..? 

तुझे नहीं मालुम...! 

नहीं... तेरा जन्मदिन हैं क्या..? 

अरे नहीं यार..। 

तो फिर मेरा जन्मदिन होगा..! 

सोनु.... मजाक मत कर... ओर सोचकर बता कल क्या हैं...। 

कल पच्चीस दिसम्बर हैं.... शनिवार का दिन हैं.. ओर अपन दोनों को शाम वाली ट्रेन में जाना हैं...। इसके अलावा अगर कुछ हैं तो वो मुझे नहीं मालूम...। 

अरे यार... वो सब नहीं... कुछ ओर पूछ रहा हूँ मैं...। 

क्या यार रिकी.... कितना घुमा रहा हैं.... तु ही बता दे ना... क्या हैं...! 

अरे यार तुझे तारिख याद हैं मगर त्यौहार नहीं..! 

त्यौहार.... कल कौनसा त्यौहार है...। 

अरे मेरी मम्मी जहाँ काम करतीं हैं ना वहाँ मैं भी गया था ना कल तो वहां से पता चला कल क्रिसमस का त्यौहार हैं...। 

क्रिसमस.....! 

ये कौनसा त्यौहार होता है..! 

मैं बताता हूँ.... ये कोई भगवान होता हैं जीजस क्राइस्ट....उनका जन्मदिन होता हैं...। सबसे मजेदार बात पता हैं क्या होती हैं इसमें..।

क्या..! 

पता हैं कोई सांता क्लॉज़ नाम का एक उनके भगवान का भेजा हुआ दूत आसमान से नीचे आता हैं और सभी बच्चों को ना उनकी पसंद का गिफ्ट देकर जाता हैं....। 

हाहाहाहाहा...... क्या यार रिकी.... तु पागल हो गया हैं क्या.... ऐसा भी कभी होता हैं क्या..! 

अरे मैं सच कह रहा हूँ.... तु हर बात को मजाक में क्यूँ लेता हैं...। 

मतलब तु यह कह रहा हैं की वो सांता नीचे आकर सब बच्चों को गिफ्ट देकर वापस ऊपर चला जाता हैं... उसे क्या सपना आता हैं क्या की किस बच्चे की क्या पसंद हैं...। 

अरे यार वो ही बात हैं.... तु पुरी बात तो सुन...पता है सब बच्चे ना आज की रात को अपनी अपनी गिफ्ट को ना एक कागज पर लिखकर तकिये के नीचे रखकर सो जाते हैं....। फिर वो सांता हैं ना सबकी गिफ्ट पढ़ता हैं और उनकी लिखी हुई गिफ्ट रखकर चला जाता हैं... वो हैं ना बच्चों के सोने के बाद आता हैं और उनके उठने से पहले वापस चला जाता हैं...। पता हैं वो लोग है उसके स्वागत के लिए पूरे घर को सजाते हैं.... जैसे अपन लोग दिवाली पर लाइटें लगाते हैं ना वैसे...। 

अच्छा.... ऐसा सच में होता हैं क्या..! 

हाँ.... मैने मम्मी से भी पूछा.... तो मम्मी ने बताया की उनको सच में गिफ्ट मिलती हैं...। 

सच में....!! यार चल ना अपन भी लिखते हैं गिफ्ट....। 

हां यार... वहीं तो तुझे समझा रहा था कबसे.... तु क्या लिखेगा..! 

पहले तु बता तु क्या लिखेगा..! 

मैं तो साइकिल लिखुंगा... बड़ी वाली.... मम्मी को उसपर बिठा कर छोड़ कर आऊंगा... रोज़....उनके काम करने की जगह पर... मम्मी चलते चलते बहुत थक जाती हैं.... फिर वहाँ जाकर भी सीधे काम करने लग जाती हैं...। साइकिल होगी तो मैं रोज़ मम्मी को वहाँ छोड़कर आऊंगा...। वो थकेगी भी नहीं.. । मैं थोड़ा बड़ा होता ना तो बाइक मांगता पता हैं...। 

क्या तु भी पागलो जैसी बात कर रहा हैं रिकी... तु बड़ा होता तो बच्चा थोड़ी रहता... वो उनका सांता तो बच्चों को ही गिफ्ट देता हैं ना...! 

अरे हाँ यार मैं तो भूल ही गया....। रिकी हंसते हुए बोला...। 
चल अब तु बता तु क्या लिखेगा..! 

मेरे इस दिमाग में तो कुछ आ ही नहीं रहा हैं...। जब आएगा तब लिख दूंगा.... अभी तो फिलहाल अपनी छुकछुक के आने का समय हो गया हैं चल....उठा अपनी पानी की बोतलें.... मैं उठाऊँ अपनी चाय की केतली...। 


कुछ ही सैंकिड्स में एक ट्रेन स्टेशन पर आकर रुकी ओर दोनों बच्चे सोनु और रिकी उसमें चढ़ गए.... और रिकी चिल्लाने लगा... पानी ले लो... पानी... ठंडा बोतल पानी सिर्फ बीस रुपया.... ठंडा पानी...। वही सोनू चाय... चाय... गरमा गरम अदरक वाली कड़क चाय बोलकर एक बोगी से दूसरी बोगी में अपनी आजिविका कमाने में मस्त हो गए....। 

कुछ मिनटों बाद ट्रेन धीमी रफ्तार से चलने लगी... दोनों बच्चे चलती ट्रेन से उतरते हुए वापस स्टेशन पर आ गए...। 

ऐसे ही हर आने जाने वाली ट्रेन में वो चढ़ते ओर उतरते रहते... सिर्फ शनिवार और रविवार की रात को आने वाली ट्रेन से वो नहीं उतरते थे... वो वहां आने वाली आखिरी ट्रेन में बैठकर सफर करते हुए अगले दिन वहाँ से वापस आती हुई रेलगाड़ी से रिटर्न आते थे... क्योंकि शनिवार और रविवार को रिकी की मम्मी बंगले में ही रुकती थीं... तो उनकी संभाल करने वाला कोई नहीं होता था...। इसलिए ये दो दिन वो दोनों दोस्त रेलगाड़ी के सफर में ही बिताते थे...। 
पर आज शुक्रवार की रात थीं तो... रिकी तो घर जा रहा था... जबकि सोनू तो हर रोज की तरह स्टेशन पर गुजारने वाला था...। समय हुआ और रिकी घर की ओर चल दिया जाते जाते उसने सोनु से कहा :- सुन... कागज़ पर याद से लिख देना जो भी तुझे चाहिए हो... मैं भी घर जाकर लिखुंगा...। 

हाँ. ...हाँ..... पक्का... चल.... बाय.... मिलते हैं कल... देखते हैं... अपना गिफ्ट मिलता हैं की नहीं...। 


अंधेरी रात होते ही जब सोनु थककर सोने जा रहा था तो उसने स्टेशन पर मौजूद स्टाल से एक कागज और पेन लिया और उसपर कुछ लिखकर उसे अपने सिरहाने रखकर सो गया...। 

सवेरे पांच बजे.... स्टेशन पर आई पहली रेल के आगमन से ही उसकी आंख खुली...। सोनु उठा और आंख मलते हुए ... उत्सुकता से कागज उठाया और उसे अपनी शर्ट की जेब में रखकर अपने काम में लग गया...। तकरीबन सात बजे रिकी भी स्टेशन पर आया और अपने काम पर लग गया...। 
कुछ देर बाद जब दोनों कुछ समय के लिए फ्री हुवे तो रिकी ने सोनु से पूछा :- तुने लिखा कुछ...। 

सोनु बहुत खुश होते हुए बोला :- हां लिखा ना.... 

क्या..! 

सोनु ने झट से वो कागज जेब से निकालकर रिकी को देते हुए कहा :- देख.... ये लिखा... मैने..। 

रिकी ने कागज पर लिखा हुआ पढ़ा और कुछ पल के लिए खामोश हो गया .। 

वो कुछ बोलता इससे पहले दूसरी ट्रेन आई और दोनों फिर से काम में लग गए...। अपना काम करते करते रिकी मन ही मन बोला.... हे सांता भगवान जी... प्लीज मुझे मेरी साइकिल भले मत देना लेकिन सोनु का लिखा गिफ्ट उसे दे देना... प्लीज भगवान जी प्लीज...। 


कुछ देर बाद दोनों नाश्ता करने के लिए एक बैंच पर बैठे तब रिकी बोला :- सोनु... मुझे पूरा विश्वास हैं तुझे तेरी गिफ्ट जरूर मिलेगी... मैं भी तेरे लिए प्रार्थना करुंगा...। तु देखना सोनु तेरी मम्मी जरूर आएगी आज रात को ....वो इसी स्टेशन पर तुझे छोड़कर गई थीं ना आज वो सांता क्लॉज़ उनको ढूंढकर यहाँ वापस लेकर आएंगे.... देखना तु...। 

ये सुनकर सोनु के चेहरे पर एक चमक आ गई...। 




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7 Comments

Khan

05-Nov-2022 06:08 AM

Behtreen likha hai aapne

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Mahendra Bhatt

04-Nov-2022 10:59 AM

बहुत खूब

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Pratikhya Priyadarshini

03-Nov-2022 11:44 PM

Shaandar prastuti 👌💐🌺

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